अपनी जान को खतरे में डालकर दूसरों की जान बचाने वाले राज्य के बहादुर बच्चों को अब राज्य स्तर पर भी वीरता पुरस्कार देने की तैयारी है। राज्य बाल कल्याण परिषद ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है इसे 17 फरवरी को राजभवन से मंजूरी मिलने की उम्मीद है। राज्य के गुलदार से दूसरों की जान बचाकर अदम्य साहस का परिचय देने वाले बच्चों के मामले अक्सर सामने आते हैं। इसके अलावा प्रदेश के वीर बच्चे पानी में बहने से बचाने जैसे कई बहादुरी के काम करते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद की ओर से पूर्व में राज्य के इन बहादुर बच्चों को हर साल गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया जाता रहा है, लेकिन किन्हीं वजहों से पिछले कुछ वर्षों से इसके लिए भारतीय बाल कल्याण परिषद की तरफ से आवेदन नहीं मांगे जा रहे हैं। अब इस तरह के बच्चों को राज्य स्तर पर पुरस्कृत किए जाने की तैयारी है। इसके लिए प्रस्ताव को मंजूरी के बाद राज्य स्तर पर इस तरह के बच्चों के आवेदन लिए जाएंगे। जिसके बाद बाल वीरों को राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार दिया जाएगा। इस वीरता को देखते हुए उसे पूर्व में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका हैै। राज्य में बाल वीरों के इस तरह के इक्का दुक्का नहीं, बल्कि कई मामले हैं। चमोली की स्व.मोनिका उर्फ मनीषा को 2014, देहरादून के लाभांशु को 2014, टिहरी के अर्जुन को 2015, देहरादून के सुमित ममगाई को 2016, टिहरी गढ़वाल के पंकज सेमवाल को 2017, पौड़ी गढ़वाल की राखी को 2019, नैनीताल के सनी को 2020, पिथौरागढ़ के मोहित चंद उप्रेती को 2020 और रुद्रप्रयाग के नितिन रावत को 2022 में यह पुरस्कार मिल चुका है।
प्रदेश के बहादुर बच्चों को मिलेगा वीरता पुरस्कार, राज्यपाल की मंजूरी बाकी
