नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने से इसके कारणों का अंदाजा पहले से लगाते हुए विपक्षी दलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। वहीँ पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु ने साफ कर दिया है कि वे इस कानून को अपने राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा। इस मामलें पर विरोध बढ़ता देख केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब साफ कह दिया है कि सीएए संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। साथ ही केवल केंद्र सरकार को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार है।
सीएए को लेकर अमित शाह का विपक्ष पर सीधा वार, बोले निरस्त होना असंभव
बतादें कि अमित शाह ने प्रेस इंटरव्यू में कहा है कि विपक्षी नेता ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ कर रहे हैं। साथ ही कहा कि सीएए मोदी सरकार द्वारा लाया गया है। इसे रद्द करना संभव नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दल साथ आएंगे और सहयोग करेंगे।
क्या है CAA –
नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था एक ही दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति भी मिल गई थी सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी। ऐसे अल्पसंख्यक, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हों।
इतना ही नहीं गृह मंत्री ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘तृणमूल कांग्रेस प्रमुख शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच का अंतर नहीं समझती हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं ममता बनर्जी से अपील करना चाहता हूं। राजनीति के लिए कई मंच हैं। कृपया बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदुओं का विरोध न करें।
निरस्त होना असम्भव –
उन्होंने कहा कि सीएए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा लाया गया है। सीएए को निरस्त करना असंभव है। यह पूरी तरह से संवैधानिक कानून है।