नैनीताल : उत्तराखंड में तेंदुओं की संख्या कम कम होती दिख रही है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्टेटस आफ लेपर्ड इन इंडिया-2022 रिपोर्ट में को आंकड़े और तथ्य सामने आए हैं वो यह तथ्य सामने आए हैं। वन विभाग तेंदुओं की संख्या कम होने के पीछे एक बड़ा कारण बाघों की संख्या बढ़ने को मान रहे हैं। आपको बतादें कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन एनटीसीए ने बाघों के आकलन के लिए वर्ष-2022 में अध्ययन किया था। इसमें कैमरा ट्रैप के साथ तकनीक का इस्तेमाल हुआ था यह अध्ययन बाघ संभावित इलाकों में किया गया था। वन विभाग के मुताबिक़, अध्ययन के समानांतर तेंदुओं का आकलन भी हुआ है। जिसके हिसाब से बात करें तो, उत्तराखंड में तेंदुओं की संख्या 652 है, जबकि वर्ष-2018 में संख्या 839 थी। इस हिसाब से 187 तेंदुए कम हुए हैं। इस मामलें में वन विभाग ने पूरे प्रदेश का अध्ययन कराया है, इसके हिसाब से वर्ष-2018 में राज्य में 3115 तेंदुओं के होने अनुमान था, जो वर्ष-2022 में 2928 रह गई है। वहीं, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या बढ़ने लगी है। बाघों का आंकड़ा बढ़ा –
उत्तराखंड में तेंदुओं की संख्या पढ़ हैरान हुआ हर कोई, बाघों की संख्या इतनी !
में बाघों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है और वर्ष-2006 में बाघ 178 रिपोर्ट हुए थे, जो कि वर्ष-2022 में बढ़कर 560 तक पहुंच गए हैं। स्टेस आफ लेपर्डस इन इंडिया-2022 रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रदेश के रामनगर वन प्रभाग में लेपर्ड की संख्या कम हुई है, कार्बेट टाइगर रिजर्व से सटे रामनगर वन प्रभाग में बाघों की संख्या बढ़कर 67 हो चुके हैं।