पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना साकार होने जा रहा है। उन्होंने दो दशक पहले नदी जोड़ो अभियान की परिकल्पना हुई थी।इसके माध्यम से नदियों को आपस में जोड़कर सूखे की परिस्थितियों को खत्म करना एक मकसद था । अब ये पूरा हो रहा है। केन और बेतवा नदी आपस में जुड़ने जा रही हैं। इसके पूरा होने पर बुंदेलखंड में सूखे की स्थिति नहीं बनेगी। नदियों को जोड़ने की बात अटल जी के प्रगतिशील विचारों की देन है। दरअसल वर्ष 2002 में देश में भयंकर सूखा था। अटल जी उस समय प्रधानमंत्री थे। इस समस्या के समाधान के लिए उस समय उनके दिमाग में नदियों को जोड़ने का विचार आया। उन्होंने नदियों को जोड़ने की बात संसद में भी उठाई। योजना को अमल में लाया जाना था, पर अटल जी की सरकार गिर जाने पर मामला ठंडा पड़ गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिलकर इस काम में सामने आने वाली तमाम अड़चनों को दूर किया। केंद्र से फंड की मंजूरी भी मिल गई है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी नीव रखी है। केन-बेतवा लिंक परियोजना का निर्माण मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिले में हो रहा है। परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई के दौधन बांध बनेगा। बांध पर टनल अपर लेवल पर 1.9 किमी एवं लोअर लेवल पर 1.1 किमी का निर्माण होगा। इन टनल से 221 किमी लंबी लिंक नहर के द्वारा दोनों राज्यों में सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा प्रदान करते हुए केन नदी के शेष पानी को बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा। पेयजल के लिए भी पानी मिलेगा। इसके बाद शेष पानी को बेतवा नदी में छोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा बीना नदी, उर नदी पर भी बांध बनाए जाएंगे।
देश के पहले नदी जोड़ो अभियान की शुरुआत, केन और बेतवा नदी
