दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया गया है लेकिन उत्तराखंड के एक गांव में इस बार दिवाली कुछ अलग ख़ास रौनक लेकर आई क्यूंकि पलायन से खाली हो रहे गांवों के प्रति प्रवासियों का लगाव बढ़ने लगा है। गांवों में ख़ास तौर पर सड़क सुविधाएं होने से प्रवासी अपने पैतृक घरों को ठीक कर उनमें रहने लगे हैं।
इसी कड़ी में बतादें कि प्रदेश के कर्णप्रयाग के स्वर्का गांव में इस वर्ष मुख्य तोक से कई परिवार सालों पहले पलायन कर दिल्ली सहित अन्य जगह बसे लोग यहां पहुंचे। बतादें कि दो साल पहले यहां प्रवासी युवा प्रदीप मैखुरी और डॉ संजय मैखुरी ने अपने पुराने घरों में दीए जलाकर दिवाली मनाई। जिसके बाद अब इन युवाओं ने घर बनाए हैंं। घरों में इनके बुजर्ग रह रहे हैं और इस बार चार दशक बाद अपने घरों में दिवाली मनाई। प्रदीप के पिता बल्लभ प्रसाद कहते हैं कि गांव में युवास्था के दिन याद आए। ईष्ट देवी देवताओं की पूजा भी की। गांव के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता टीका प्रसाद मैखुरी कहते हैं कि गांव में सड़क पहुंचने के बाद दो परिवारों ने अपने नए घर बनाए हैं।