बतादें कि आज 18 सितंबर का दिन नैनीताल के इतिहास की सर्वाधिक दर्दनाक घटना को फिर से ताज़ा कर देता है। जहां भूस्खलन की चपेट में आकर कई लोग मारे गए थे। इनमें 108 भारतीय और 43 यूरेशियाई नागरिक थे। इस हुए भूस्खलन में घोड़ा स्टैंड पर खड़े 17 घोड़ों की भी मलबे में दबकर जान गई थी। इस हादसे के 144 वर्ष बाद हाल में नैनीताल फिर से भूस्खलन की त्रासदी भुगत रहा है। विभिन्न स्थानों पर हो रहे भूस्खलन से शहर की स्थिति सही नहीं है। बलियानाला क्षेत्र में जहां लंबे समय से भारी भूस्खलन जारी है वहीं नैना पीक, सात नंबर क्षेत्र टिफिन टॉप, रूसी, निहाल नाला क्षेत्र, भवाली मार्ग पर कैलाखान के निकट, आलू खेत आदि क्षेत्रों में भी समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है। लोअर मॉलरोड और बैंड स्टैंड के निकट की जमीन भी दरक चुकी है। 23 सितंबर 2023 को मल्लीताल चार्टन लॉज क्षेत्र में उसी आल्मा पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ, जहां वर्ष 1880 का भूस्खलन हुआ था। 18 सितंबर 1880 को शनिवार के दिन यह हादसा हुआ था। तब चार दिन लगातार लगभग 896 मिमी बारिश हुई थी। वर्ष 1880 के हादसे में मारे गए लोगों को आज भी श्रद्धांजलि दी जाती है। मल्लीताल स्थित सेंट जॉन इन द वाइल्डरनेस चर्च में शाम को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाती है।
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