हरियाली के बीच कभी पेड़ों तो कभी नहरों को पार करते बाघों के अद्भुत नजारों ने पीलीभीत जिले को पर्यटन के क्षेत्र में देश ही नहीं विदेशों में भी अलग अपनी छवि छोड़ी है। इससे न सिर्फ पीटीआर (पीलीभीत टाइगर रिजर्व) के पर्यटन सत्र को बढ़ावा मिला है साथ ही रोजगार की दिशा में भी सुखद परिणाम सामने आए हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या ने पर्यटन को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए काम किया है। पीटीआर की महोफ रेंज के जंगल और शारदा डैम के किनारे स्थित चूका बीच का नजारा सैलानियों के लिए मिनी गोवा जैसा एहसास करा देता है। छह माह तक चलने वाले पर्यटन सत्र के दौरान हजारों सैलानी यहां आकर प्राकृतिक सुंदरता को करीब से निहारते हैं। इसके अलावा बाघों के अदभुत नजारों ने भी सैलानियों को आकर्षित किया है। जंगल सफारी के दौरान कभी पेड़ की टहनियों से खेलते तो कभी तैरकर नहर को पार करते बाघों के दीदार ने सैलानियों को बार-बार आने पर मजबूर किया है। सैलानियों ने नामकरण भी किया है। इसमें सुल्तान बाघ का परिवार और त्रिशूल बाघ शामिल हैं।