आगरा : मैनपुरी लोकसभा चुनाव मैदान में उतारकर जीतने की इक्षा बनाकर सांसद डिंपल यादव ने इस बाद खुद ही पतवार हाथ में लेली है। अकेले ही वे इस बार चुनावी मैदान में उतरी हैं। जनता के बीच जा रही हैं और संगठन से रायशुमारी कर जनता के बीच अपनी पकड़ बना रही हैं। ऐसे में डिंपल कहीं न कहीं अपना खुद का वजूद गढ़ रहीं हैं। सांसद डिंपल यादव ने 2009 में सियासत में अपना पहला कदम उठाया था और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से फिरोजाबाद सीट छोड़ने के चलते यहां हुए उपचुनाव में वे सपा प्रत्याशी रही थीं। यहां वे कभी अखिलेश यादव तो कभी धर्मेंद्र यादव या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नजर आती थीं। इस चुनाव में उन्हें हार मिली थी जिसके बाद वर्ष 2012 और 2014 में वे कन्नौज से सांसद चुनी गईं। यहां भी प्रचार के दौरान अखिलेश या परिवार का कोई न कोई सदस्य उनके साथ ही रहा। 2019 में कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव हारने के बाद उन्होंने मैनपुरी से 2022 में लोकसभा उपचुनाव लड़ा। नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये सीट रिक्त हुई और प्रचार में अखिलेश यादव साये की तरह उनके साथ थे. साथ ही अखिलेश की गैर मौजूदगी में कभी देवर पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव तो कभी भतीजे पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव उनके साथ दिखाई दिए। लेकिन 2024 के आम चुनाव में अब डिंपल यादव नए कलेवर में नजर आ रही हैं। राजनीतिक जानकार इसे अलग नजरिये से देख रहे हैं। उनका मानना है कि डिंपल यादव किसी न किसी का सहारा लेने वाली छवि से बाहर निकल रही हैं। यही कारण है कि वे इस बार मैनपुरी में बीते डेढ़ माह से लगातार अकेले ही लोगों के बीच जा रही हैं।
आखिर क्यों डिंपल यादव के साथ प्रचार में नहीं दिखे अखिलेश?, खुद के दम पर लड़ रहीं चुनाव
