हरिद्वार: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सनातन आदि काल से है, आगे भी रहेगा. यह समय की कसौटी पर खरा उतरा है। इसके लिए किसी तरह के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. संघ प्रमुख बुधवार को हरिद्वार में आयोजित संन्यास दीक्षा कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संन्यासियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप भगवा धारण कर सनातन की प्रतिष्ठा बढ़ाने का संकल्प ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदि काल में सनातन धर्म शुरू हुआ था। यह आज भी है और कल भी रहेगा।
उन्होंने सन्यासियों को आचरण और विचार का महत्व समझाते हुए कहा कि हमें अपने आचरण और विचार से लोगों को सनातन का अर्थ व महत्व समझाना होगा। उन्होंने काढ़े का उदाहरण दिया। कहा कि कोरोना काल से पहले लोग इसका मजाक उड़ाते थे, लेकिन कोरोना काल में प्रकृति ने इसका महत्व समझा दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ऋषिग्राम में पतंजलि संन्यास पर्व के आठवें दिन चतुर्वेद पारायण यज्ञ में आहुति डाली। इस मौके पर पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्वामी रामदेव भी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75 साल बाद पतंजलि महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने स्वदेशी शिक्षा प्रणाली का जिक्र करते हुए कहा कि देश को आजादी मिले इतने साल हो गए, लेकिन हमारी अपनी शिक्षा और चिकित्सा व्यवस् नहीं है. इसलिए गुलामी के संस्कारों और प्रतीकों को खत्म करने के लिए संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य केवल संन्यासी ही हासिल कर सकते हैं।
हरिद्वार पहुंचे मोहन भागवत, सनातन धर्म के बारें में कही ये बात

