ईरान के इस्राइल पर हमले के बाद बीते दिन रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई थी। जहां बैठक में ईरान के राजनयिक भी उपस्थित रहे। बैठक में ईरान के राजनयिक ने इस्राइल पर हमले का बचाव करते हुए सफाई दी कि उनके पास कोई और रास्ता ही नहीं बचा था और उन्हें हमला करना जरूरी हो गया था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान के राजदूत आमिर सईद इरवानी ने बताया है ‘इस्लामिक गणराज्य ईरान ने आत्मरक्षा के अधिकार के तहत इस्राइल पर हमला किया। इस्राइल के दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहा। ऐसे में तेहरान के पास अब रास्ता नहीं बचा था। उसे जवाब देना पड़ा।’ ईरान के राजनयिक ने ये भी कहा कि ‘उनका देश नहीं चाहता कि संघर्ष बढ़े, लेकिन अगर कोई भी आक्रामक कार्रवाई हुई तो वह उसका जवाब देंगे। ‘शनिवार को ईरान ने इस्राइल पर 300 से ज्यादा ड्रोन्स और मिसाइलों से सीधा हमला किया।
इस हमले में इजराइल को खास नुकसान नहीं हुआ और इस्राइल के एयर डिफेंस सिस्टम ने करीब सारी मिसाइलों और ड्रोन्स को इंटरसेप्ट कर हवा में ही तबाह कर दिया। इसमें इस्राइल को अमेरिका, जॉर्डन और ब्रिटेन से भी मदद मिली। ईरान का कहना है कि यह हमला बीती 1 अप्रैल को इस्राइल द्वारा सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास की इमारत पर कथित तौर पर हमला किया, जिसमें ईरानी सेना के सात अधिकारी मरे थे इनमें दो कमांडर भी थे।

