हिमालय में जलवायु परिवर्तन के गंभीर दुष्प्रभाव दिखने लगे हैं। हिमालयी क्षेत्र में तापमान बढ़ने के कारण ग्लेशियर तेजी से कम हो रहे हैं।गंगा-यमुना जैसी नदियों में जल आपूर्ति और जलवायु स्थिरता खतर में है। मिजोरम विश्वविद्यालय, आइजोल के प्रोफेसर विश्वंभर प्रसाद सती और सुरजीत बनर्जी के 30 साल के अध्ययन में सामने आई। मूल रूप से चमोली निवासी प्रो. विश्वंभर प्रसाद सती ने कहा, हिमालय तीव्र परिवर्तन से गुजर रहा है। स्थानीय आबादी के साथ साथ को बल्कि वैश्विक जलवायु को भी खतरा भी है। और बर्फ की चादर की स्थानिक-कालिक गतिशीलता और बर्फ के टुकड़ों का विखंडन एक गंभीर चिंता का विषय हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री, मिलम और पिंडारी जैसे ग्लेशियर कमजोर हैं। यहां ग्लेशियर पीछे तो हट ही रहे हैं, इनकी मोटाई भी कम हो रही है।मोटी बर्फ का क्षेत्र 10,768 वर्ग किलोमीटर से घटकर 3,258.6 वर्ग किलोमीटर रह गया, जो एक खतरनाक कमी को दर्शाता है।
हिमालय में घट रहे ग्लेशियर, गंगा-यमुना पर गंभीर संकट
